Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
noImage

जमाल

1568 - 1593 | हरदोई, भारत

जमाल

दोहा 87

जमला ऐसी प्रीत कर जैसी निस अर चंद

चंदे बिन निस साँवली निस बिन चंदो मंद

'जमला' ऐसी प्रीत कर जैसी मच्छ कराय

टुक एक जल थी वीछड़ै तड़फ तड़फ मर जाय

जमला जा सूँ प्रीत कर प्रीत सहित रह पास

ना वो मिलै बीछड़ै ना तो होय निरास

दुस्सासन एंचन इचत भरी बसन की माल

चीर बधायो द्रोपदी रच्छा करी 'जमाल'

या तन की भट्टी करूँ मन कूँ करूँ कलाल

नैणाँ का प्याल: करूँ भर भर पियो 'जमाल'

Recitation

बोलिए