जमाल के दोहे
जमला जा सूँ प्रीत कर प्रीत सहित रह पास
ना वो मिलै न बीछड़ै ना तो होय निरास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
'जमला' ऐसी प्रीत कर जैसी मच्छ कराय
टुक एक जल थी वीछड़ै तड़फ तड़फ मर जाय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मिलै प्रीत न होत है सब काहू कैं लाल
बिना मिलें मन में हरष साँची प्रीत 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अबसि चैन-चित रैण-दिन भजहीं खगाधिपध्याय
सीता-पति-पद-पद्म-चह कह 'जमाल' गुण गाय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जब जब मेरे चित्त चढ़ै, प्रीतम प्यारे लाल
उर तीखे करवत ज्यूँ बेधत हियो 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
या तन की भट्टी करूँ मन कूँ करूँ कलाल
नैणाँ का प्याल: करूँ भर भर पियो 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जमला प्रीत न कीजियै काहू सों चित लाय
अलप मिलण बिछुड़न बहुत तड़फ तड़फ जिय जाय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
पिय करन सब अरपियो तन मन जोबन लाल
पिया पीर जानें नहीं किस सौं कहौं 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
प्रीत जो कीजै देह धर उत्तम कुल सुँ लाल
चकमक जुग जल में रहै अगन न तजै 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जमला सहु जग हूँ फिरी बाँध कमर मृग-छाल
अजहूँ कंत न मानही अवगुन कोण 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जोगिनि ह्वै सब जग फिरी कमरि बाँधि मृगछाल
बिछुरे साजन ना मिले कारन कौन 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जमला करै ते क्या डरें कर कर क्या पछताए
रोपै पेड़ बबूल का आम कहाँ तें खाय
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
स्रवन छाँड़ि अधरन लगे ये अलकन के बाल
काम डसनि नागनि जहीं, निकसे नाहिं 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
प्रीत रीति अति कठिन प्रीत न कीजै लाल
मिले कठिन विछरन बहुत नित जिय जरै 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सज्जन हित कंचन-कलश तोरी निहारिय हाल
दुर्जन हित कुमार-घट बिनसिन जुरै 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
कबहुँ न छिन ठहरत हैं मधुकर नैनाँ लाल
पहुप अधिक बहु रूप के हेरत फिरैं 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
पहिरैं भूषन होत है सब के तन छबि लाल
तुव तन कंचन तै सरस जोति न होत 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मोर मुकुट कटि काछिनी गल फूलन की माल
कह जानौं कित जात हैं जगकी जियन 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सब घट माँही राम है ज्यौं गिरिसुत में लाल
ज्ञान गुरु चकमक बिना प्रकट न होत 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
स्याम पूतरी सेत हर अरूँ ब्रह्म चख लाल
तीनों देवन बस करे क्यौं मन रहै 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मन ग्राहक के पास हैं नैना बड़े रसाल
घटत बढ़त बहु भाव करि मिले जु वसत 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जग सागर है अति गहर लहरि विषैं अति लाल
चढ़ि जिहाज़ अति नाम की उतरें पार 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
डगमग नयन सुसगमगे विमल सु लखे जु बाल
तसकर चितवनि स्याम की चित हर लियो 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अलक जु लागी पलक पर पलक रही तिहँ लाल
प्रेम-कीर के नैन में नींद न परै 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
या तन की सार्रैं करूँ प्रीत जु पासे लाल
सतगुरु दाँव बताइया चोपर रमे 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
तरवर पत्त निपत्त भयो फिर तपयो तत्काल
जोबन पत्त निपत्त भयो फिर पतयौ न 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
विधि बिधि कै सब विधि जपत कोऊ लहत न लाल
सो विधि को विधि नंद घर खेलत आप 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
नैना कहियत पनिगनी कहौ तुम्हाँरे लाल
डसै पिछै सबदन कछू लागत नांहि 'जमाल'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया