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Sufinama
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जौहर वारसी

बहराइच, भारत

जौहर वारसी के अशआर

मिरा सज्दा-ए-मोहब्बत कभी इस तरह अदा हो

कि मिरी जबीं झुके जब उठे तुम्हारे दर से

मिरे आँसुओं के क़तरे हैं चराग़-ए-राह-ए-मंज़िल

उन्हें रौशनी मिली है तपिश-ए-दिल-ओ-जिगर से

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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