जुनैद अहमद नूर के सूफ़ी लेख
हकीम सफ़दर अ’ली सफ़ा वारसी
हिन्द-ओ-नेपाल सरहद पर आबाद एक छोटा सा ज़िला’ बहराइच इ’लाक़ा-ए-अवध का एक तारीख़ी इ’लाक़ा है जिसे सुल्तानुश्शोह्दा फ़िल-हिंद हज़रत सय्यिद सालार मस्ऊ’द ग़ाज़ी (रहि.) की जा-ए-शहादत होने का शरफ़ हासिल है।बहराइच ज़माना-ए-क़दीम से इ’ल्म का मरकज़ रहा है।दरिया-ए-घाघरा
साहिब-ए-मा’लूमात-ए-मज़हरिया शाह नई’मुल्लाह बहराइची
हज़रत मौलाना शाह नई’मुल्लाह की पैदाइश 1153 हिज्री मुताबिक़1738 में हुई।आपका मक़ाम-ए-पैदाइश मौज़ा’ भदौनी क़स्बा फ़ख़्रपुर ज़िला’ बहराइच है।आपके वालिद का नाम ग़ुलाम क़ुतुबुद्दीन था। (आसार-ए-हज़रत मिर्ज़ा ‘मज़हर’ जान-ए-जानाँ शहीद, सफ़हा 260) शाह नई’मुल्लाह
सय्यिद अमीर माह बहराइची
सय्यिद अफ़ज़लुद्दीन अबू जा’फ़र अमीर माह बहराइची को बहराइच में सय्यिद सालार मस्ऊ’द ग़ाज़ी के बा’द सबसे ज़्यादा मक़्बूलियत-ओ-शोहरत हासिल हुई।आपकी पैदाइश बहराइच में हुई। सन-ए-विलादत किसी किताब में मज़कूर नहीं हैं। प्रोफ़ेसर ख़लीक़ अहमद निज़ामी लिखते
सय्यिद सालार मस्ऊद ग़ाज़ी
बहराइच शहर ख़ित्ता-ए-अवध का क़दीम इ’लाक़ा है।बहराइच को सय्यिद सालार मस्ऊ’द ग़ाज़ी और उनके जाँ-निसार साथियों की जा-ए-शहादत होने का शरफ़ हासिल है,जिसकी बरकत से पूरे हिंदुस्तान में बहराइच अपना अलग मक़ाम रखता है।अ’ब्बास ख़ाँ शेरवानी ने ब-हवाला ”मिर्आत-ए-मस्ऊ’दी”
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere