संवत् 1637 से 1674 तक वर्तमान थे। ओरछा नरेश मधुकर शाह और उनके पुत्र महाराज इंद्रजीत सिंह के आश्रित तथा बीरबल और टोडरमल के मित्र थे। इनकी भाषा बुंदेलखंडी एवं मिश्रित ब्रज रही। रीतिकाल के प्रमुख कवियों में इनका शुमार होता है। इनकी रचनाओं में रसिक प्रिया, कवि प्रिया, रतन बावनी, रामचंद्रिका, जहाँगीर जसचंद्रिका इत्यादि उल्लेखनीय है।