खिरदमन्द अली शाहपुर के लाला श्री राम के आश्रित थे। इन्होंने हिजरी सन् 1206 में मनामल दीनी नामक किताब लिखी जिसमें कुरान की कुछ आयतों का हिंदी अनुवाद था। इस किताब की नकल कुदरत अली ने हिजरी सन् 1258 में की। इसमें कुल 48 आयतों का हिन्दी अनुवाद है। अंत में कुछ आयतों की विस्तृत व्याख्या भी पौराणिक आधार पर की गयी है।