ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के मल्फ़ूज़ात
दलील-उल-आरिफ़ीन, मजलिस (4)
रोज़ दो शम्बः सआदत-ए-क़दम-बोसी मयस्सर हुई। इस रोज़ शेख़ शहाबुद्दीन उमर ख़्वाजः अजल शीराज़ी और शेख़ सैफ़ुद्दीन बाख़ज़री वास्ते मुलाक़ात के तशरीफ़ लाए थे। गुफ़्तगु इस बारे में हुई कि सादिक़ मुहब्बत में कौन है। आपने इरशाद फ़रमाया सादिक़ मुहब्बत में वो है कि जब बला
दलील-उल-आरिफ़ीन, मज्लिस (10)
रोज़-ए-पंजशंबह सआ’दत-ए-क़दम-बोसी हासिल हुई। बहुत से दरवेश हाज़िर-ए-ख़िदमत थे। गुफ़्तुगू सोहबत के बारे में हुई। आपने इरशाद फ़रमाया कि हदीस शरीफ़ में आया है लिस्सोह्बति तासीरुन या’नी सोहबत में तासीर है। अगर कोई बद-कार सोहबत नेक लोगों में बैठना इख़्तियार करे,
दलील-उल-आरिफ़ीन, मज्लिस (19)
दौलत-ए-क़दम-बोसी मुयस्सर हुई। शैख़ अहद किरमानी और वाहिद बुरहान ग़ज़नवी और ख़्वाजा सुलैमान और शैख़ अबदुर्रहमान और बहुत से सुफ़िया-ए-इज़ाम हाज़िर-ए-ख़िदमत थे। गुफ़्तुगू सुलूक में वाक़े' हुई। आप ने इरशाद फ़रमाया बा'ज़ मशाएख़ ने सुलूक के सौ दर्जा रखे हैं। इस में