ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद का परिचय
19वीं शताब्दी के प्रमुख पंजाबी सूफी कवि। इन्हें पंजाबी और उर्दू के अलावा भी कई भाषाओं का ज्ञान था। इन्होंने खुद भी अंग्रेजी सीखी और अपने मुरीदों को भी अंग्रेजी सीखने के लिए प्रेरित किया। सूफियों के चिश्ती सिलसिले से इनका ताल्लुक था। इनका जन्म चाचरन शहर में हुआ था और वहीं ख़ाक के सुपुर्द भी हुए। इनकी दरगाह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मीटन कोट में स्थित है। इनकी प्रमुख रचनाएँ- (1) दीवान-ए-फरीद (मुल्तानी में काव्य संग्रह 1882, पंजाबी में सन् 1883 तथा उर्दू में सन् 1884) इसमें इनकी 272 काफियाँ है। (2) मनाकिवे महबूबिया (फारसी) और (3) फवायद फरीदिया (फारसी)।