ख़्वाजा उस्मान हारूनी के मल्फ़ूज़ात
अनीसुल-अर्वाह, मज्लिस (7)
मोमिन को तकलीफ़ देने के बारे में गुफ़्तुगू हुई तो आप ने ज़बान-ए-मुबारक से फ़रमाया कि अबू हुरैरा रज़ीअल्लाहु अन्हु ने रसूलुल्लाह सल्लललाहू अलैहि वसल्लम से रिवायत किया है कि जिस शख़्स ने मोमिन को सताया समझो कि उस ने मुझ को नाराज़ किया और जिस ने मुझे नाराज़
अनीसुल-अर्वाह, मज्लिस (25)
दरवेशों के बारे में गुफ़्तुगू शुरू हुई। आप ने ज़बान-ए-मुबारक से फ़रमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से हदीस में है कि जो शख़्स दरवेशों को खाना खिलाता है वह तमाम गुनाहों से पाक हो जाता है। फिर फ़रमाया कि तीन किस्म के लोग बहिश्त की तरफ़ नहीं आएँगे।
अनीसुल-अर्वाह, मज्लिस (12)
सलाम कहने के बारे में गुफ़्तुगू शुरू हुई तो आप ने ज़बान-ए-मुबारक से फ़रमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से हदीस में आया है कि जब मज्लिस से उठे तो सलाम कहे क्योंकि सलाम कहना गुनाहों का कफ़्फ़ारा है,फ़रिश्ते उस के लिए बख़शिश के ख़्वास्तगार होते हैं।
अनीसुल-अर्वाह, मज्लिस (8)
गाली देने का ज़िक्र हुआ तो आप ने ज़बान-ए-मुबारक से फ़रमाया कि जो शख़्स मोमिन को गाली देता है वह गोया अपनी माँ और लड़की के साथ ज़िना करता है और ऐसे है जैसे मूसा अलैहिस-सलाम की लड़ाई में फ़िरऔन की मदद करना। फिर फ़रमाया कि जो शख़्स मोमिन को गाली देता है उस
अनीसुल-अर्वाह, मज्लिस (9)
कमाने और काम करने के बारे में गुफ़्तुगू हुई तो आपने ज़बान-ए-मुबारक से फ़रमाया कि एक दफ़अ’ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बैठे हुए थे। एक शख़्स ने उठ कर पूछा, ऐ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !मेरे पेशे के बारे में आप की क्या राय है ? आँहज़रत ने
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere