माधव मुनीष्वर का परिचय
मध्व सम्प्रदायी वैष्णव मत के अनुयायी होने के कारण इनके मराठी अभंग पदों में भक्तिरस भरा है। लेकिन इनकी अनेक रचनाओं पर सूफीमत का भी प्रभाव है। जीवात्मा 'इश्क ए हकीकी' का उन्माद लिए परमात्मा रूपी माशूक के लिए तड़प रही है। आशिक बेहाल है, मुखडा़ देखने को तड़प रहा है, लेकिन कपट के घूँघट ने मिथ्या आवरण से विभेद डाल रखा है। इनका असल नाम महादेव था। इनके पिता माध्व संप्रदाय के वैष्णव थे। जन्म का पता नहीं लेकिन इनकी मृत्यु कीर्तन करते हुए संवत् 1653 में हुई थी।