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मिर्ज़ा ग़ालिब

1797 - 1869 | दिल्ली, भारत

महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता

महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता

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कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती आबिदा परवीन

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले

तस्कीं को हम न रोएँ जो ज़ौक़-ए-नज़र मिले फरीद अयाज़

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ आबिदा परवीन

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आबिदा परवीन

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है आबिदा परवीन

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे फरीद अयाज़

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं

मज़े जहान के अपनी नज़र में ख़ाक नहीं बख़्शी सलामत अली

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता आबिदा परवीन

हक़ जल्वा-गर ज़ तर्ज़-ओ-बयान-ए-मोहम्मद अस्त

हक़ जल्वा-गर ज़ तर्ज़-ओ-बयान-ए-मोहम्मद अस्त अज्ञात

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले आबिदा परवीन

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है आबिदा परवीन

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द

हुस्न ग़म्ज़े की कशाकश से छुटा मेरे बा'द आबिदा परवीन

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