नंद दास का परिचय
अष्टछाप के आठवें महाकवि। इन्हें तुलसी दास का अनुज भी कहा जाता है। विट्ठलदास के शिष्य। कृष्ण काव्यधारा में सूरदास के बाद सर्वश्रेष्ठ कवि। जीवन के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है। इनके लिखे ग्रंथों में प्रसिद्ध है- रास पंचाध्यायी, अनेकार्थ नाममाला, रूक्मिनी मंगल, अनेकार्थ मंजरी, रूपमंजरी, रस मंजरी, विरह मंजरी आदि। भँवरगीत भी इन्हीं की रचना कही जाती है।