नरसी मेहता का परिचय
गुजराती के आदि कवि के रूप में विख्यात "वैष्णव जन तो" इनकी प्रसिद्ध रचना है जिसे महात्मा गाँधी गाया करते थे और आज भी गाँधी आश्रणों में इसका नियमित पाठ होता है। जन्म- जूनागढ़ के पास के गाँव तलाजा में हुआ था। उनकी भक्ति पर चैतन्य का प्रभाव परिलक्षित होता है। खंभात के एक कवि विष्णुदास (सं.- 1624-1656) ने मामेरु की रचना की है। इससे यह प्रमाणित होता है कि सं. 1600 तक नरसी नाम का कवि सौराष्ट्र से लेकर खंभात तक लोगों के बीच प्रसिद्ध था। नरसी की भक्ति का एक अपना विशिष्ट रूप है जिसमें सगुण भक्ति एवं वेदान्त के ज्ञान का समावेश है।