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नूर मोहम्मद माहरवी

1746 - 1793 | बहावलपुर, पाकिस्तान

नूर मोहम्मद माहरवी

सूफ़ी उद्धरण 19

इंसान-ए-कामिल संसार की रूह है, उन का मरना आलम का मरना है।

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जब कोई सच्चा इंसान मरता है, तो दुनिया ज्ञान के एक बड़े हिस्से से महरूम हो जाती है।

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जिसे बीवी, बच्चे, खेती-बाड़ी, तमाशे रोकते हों, उसे ख़तरों और वहमों को छोड़ देना चाहिए।

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जो अपने दुश्मन को राज़ी कर लेता है, वह ख़ुदा को पा लेता है।

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तरीक़त की चाह रखने वाले लोगों को कभी अपने से दूर करो, यही सच्चे अर्थों में पीर का करम है।

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