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पद्माकर

1753 - 1833

पद्माकर का परिचय

इनके आश्रयदाता महाराज रघुनाथ राव (नागपुर), महाराज प्रताप सिंह तथा जयसिंह (जयपुर), नोने अर्जुनसिंह, गोसाईं अनूपगिरि (हिम्मत बहादुर बाँदा) और दौलतराव सिंधिया (ग्वालियर) थे। इनका कार्यक्षेत्र सागर (मध्य प्रदेश) था तथा इनकी भाषा ब्रज थाी। इनकी रचनाएं- हिम्मत बहादुर विरुदावली, पद्माभरत, जगदविनोद, प्रबोध पचासा, गंगा लहरी, अलीशाह प्रकाश, हितोपदेश तथा ईश्वरपचीसी। रीतिकालीन लोकप्रिय कवि। पद्माकर की रचना में चित्रत्व की प्रधानता है। नवरसों का सफल निरूपण करने वाले विद्वानों में इनका नाम लिया जा सकता है।

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