पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस का परिचय
पूरा नाम सैयद पीर मोहम्मद शाह अलमारूफ़ था। 'अकदस' तख़ल्लुस था। अहमदाबाद में आप शाह वजीहउद्दीन के मज़ार पर जाते थे और लौटते वक़्त (आज जहाँ पीर मोहम्मद शाह का रोज़ा है) वहाँ एक बुढ़िया की झोपड़ी के पास रहकर टहलते थे। बुढ़िया जब बहुल आग्रह करती थी तो मुस्कुराकर कहते थे कि ख़ुदा ने चाहा तो मैं हमेशा के लिए यहीं रूकूंगा। हुआ भी ऐसा ही, वफ़ात के बाद आप वहीं दफ़न हुए जहां बु़ढ़िया की कुटिया थी। फ़ारसी और अरबी के विद्वान थे। इनके दो काव्य मिलते हैं- (1) अकदस मक़ाशिफ़ात और (2) इश्कुल्लाह। पीर मोहम्मद शाह की मज़ार के क़रीब इनकी यादगार पीर मोहम्मद शाह लाइब्रेरी आज भी मौजूद है। जिसमें अरबी, फ़ारसी और उर्दू के कई क़लमी नुस्ख़े मौजूद है।