पूरा नाम गुलाम नबी रसलीन। सफदरजंग की सेना में सैनिक थे और धनुर्विद्या में परांगत थे। रामचेतौल के (एटा) युद्ध में वीरगति सन् 1750 ई. में। एक दोहा, 'अमिय हलाहल मद भरे' अपूर्व लोकप्रियता एवं सम्मान का अधिकारी हुआ। पूरा साहित्य रसपूर्ण है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- अंग दर्पण, रस प्रबोध, स्फुट कवित्त (कवित्त, सवैया, लोकगीत) आदि।