साएमा ज़ैदी का परिचय
मूल नाम : साएमा ज़ैदी
साइमा ज़ैदी असरी शे’र-ओ-अदब की अहम और नुमाइंदा शख़्सियत हैं जिन्हों ने नज़्म और ग़ज़ल दोनों को अपनी अछूती मुतख़य्यला से मो’तबर बनाया। अहमद नदीम क़ासिमी उन्हें उर्दू की इस शे’री रिवायत के साथ जोड़ते हैं। जो फ़ारसी के अहम- तरीन शो’रा सा’दी, हाफ़िज़ और नज़ीरी से होती हुई मीर, ग़ालिब और फ़िराक़ तक पहुँचती है। उनका पहला शे’री मज्मू’आ धूप लूँ हथेली पर 2003 में शाए’ हुआ जब कि दूसरा शे’री मज्मू’आ ज़ेर-ए-तर्तीब है। पेशे के ’एतबार सहाफ़ी हैं और सहाफ़त में एम.ए के बा’द बी.बी सी उर्दू, वाइस ऑफ़ जर्मनी उर्दू, पी.टीवी जैसे अहम नशरिय्याती इदारों से मुंसलिक रह चुकी हैं। उन्होंने न सिर्फ़ क़ौमी-ओ-बैनुल--अक़वामी मुशा’इरों में शिर्कत की बल्कि टैलीविज़न पर बहुत से मुशा’इरों की निज़ामत के फ़राइज़ अंजाम दिए। पी.टीवी पर उर्दू अदब के हवाले से एक अदबी प्रोग्राम की भी मेज़बान रहीं। इस से क़ब्ल ग़ुलाम इसहाक़ ख़ान इंस्टीट्यूट बरा-ए-साईंस और टैक्नोलोजी में दस बरस तदरीसी-ओ-तंज़ीमी उमूर अंजाम दिए। उनकी शा’इरी अमन का पैग़ाम है यही वजह है कि 2006 में बैनुल-अक़वामी बरा-ए-अमन ‘यूनीवर्सल पीस फ़ैडरेशन’ की जानिब से उन्हें ‘सफ़ीर बरा-ए-अमन’ नामज़द किया गया।