शाद वारसी का परिचय
आपके वालिद-ए-माजिद का नाम शैदा हसनी था और वह एक साहब-ए-दीवान शाएर थे। आपकी बैअत और एहराम-पोशी महमूद शाह वारसी से थी जो इटावह से थे और शेर-ओ-शाएरी में सीमाब वारसी अकबराबादी से शागिर्द होने का शर्फ़ हासिल था।
आपने बहैसीयत मदरसा वारसिया पट्टला (गुजरात) के बानी थे और इन्होंने ही इसकी बुनियाद रखी जिसमें मज़हबी और दुनियावी तालीम दोनों तरह की तालीम का बंदोबस्त था। आपने दरगाह-ए-वारसिया अबुलहसन शाह में खादिमों के तौर पर भी ख़िदमातनवाज़ी को अंजाम दिया। ये दरगाह भी मुहल्ला कटरा शहाब ख़ां इटावह, यूपी में ही है।
आपकी पैदाइश नवंबर 1910 बमुताबिक़ मुहर्रम 1330 हि. है और हज़रत महमूद शाह वारसी से 1940 में बैअत हुए। शएर-ओ-शाएरी के सिलसिले में आपकी तसानीफ़ बारगाह-ए-नूर-ए-जन्नत की सनद और आईना-ए-आलम और जुरात-ए-बे-मुद्दआ 1981 में शाएअ हो चुकी है।