शफ़ी बिहारी के अशआर
थी इ'श्क़ में ग़म की न कमी ख़ून-ए-जिगर की
खा पी के बहुत चैन से औक़ात बसर की
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टैग : ग़म
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere