शाह निज़ामुद्दीन औरंगाबादी के सूफ़ी उद्धरण
मैंने जो फ़ायदा ज़िक्र-ए-जहर (जोर से ज़िक्र) में देखा, वो किसी और चीज़ में नहीं।
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ज़िक्र करते वक़्त साँसों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि दिल में ग़ैर का ख़्याल न आए।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere