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शाह निज़ामुद्दीन औरंगाबादी

औरंगाबाद, भारत

शाह निज़ामुद्दीन औरंगाबादी

सूफ़ी उद्धरण 4

ख़ाली पेट ज़िक्र करना बेहतर है, ख़ास तौर पर नए साधक के लिए।

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जब पीर मुरीद को टोपी दे, तो मुरीद को उसकी क़द्र करनी चाहिए।

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ज़िक्र करते वक़्त साँसों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि दिल में ग़ैर का ख़्याल आए।

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मैंने जो फ़ायदा ज़िक्र-ए-जहर (जोर से ज़िक्र) में देखा, वो किसी और चीज़ में नहीं।

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