शाह नूरुर्रहमान का परिचय
उपनाम : 'नूर'
मूल नाम : नूरुर्रहमान
निधन : 01 Apr 1919 | बिहार, भारत
संबंधी : शाह अकबर दानापूरी (मुर्शिद), मुबारक हुसैन मुबारक (भाई), मुबारक अकबराबादी (भाई)
आपका नाम सय्यद शाह नूरुर्रहमान, उ’र्फ़ियत शाह लाल और तख़ल्लुस नूर है। आप शाह तबारक हुसैन काकवी के छोटे साहिबज़ादे हैं। पैदाइश 1286 हिज्री में मौज़ा' डियाँवाँ में हुई और वहीं नशो-ओ-नुमा पाई। कम-सिनी ही से नमाज़ रोज़ा के पाबंद थे। नेक मिज़ाज, नर्म-दिल और कम- सुख़न थे। आपको शाइ’री और मुसव्विरी से बड़ा ज़ौक़ था। शुरूअ’-शुरूअ’ में वहीद इलाहाबादी से इस्लाह ली फिर कुछ अ’र्सा हज़रत शाह अकबर दानापुरी की सोहब त में भी बैठे और कमाल हासिल किया। आपका मुस्तक़िल क़याम कश्मीरी कोठी, पटना में रहा। कभी-कभी डियाँवां में भी मुक़ीम रहते। आपको अपने आबाई वतन काको ज़िला' जहानाबाद से ख़ासी उल्फ़त थी। हज़रत मख़दूमा बीबी कमाल का उ’र्स भी किया करते और आस्ताना की मरम्मत में हाथ भी बटाते। कहीं बैअ’त नहीं हुए मगर सूफ़िया-ए-किराम से गहरी अ’क़ीदत रखते। तबीअ’त फ़क़्र की जानिब हमेशा माएल रही।ऑनरी मजेस्टरीट का ओ’हदा भी क़ुबूल किया और सादिक़पुर के पंच अ’दालत में इस ख़िदमत को अंजाम देते रहे। आप अच्छे शे’र कहा करते थे मगर इस फ़न को मुस्तक़िल-मिज़ाजी से नहीं किया। जब दिल मायूस होता तो कुछ लिख लिया करते। कई मुशाइ’रे आपने अपनी दौलत-कदा पर सजाए हैं जहां बेशतर शो’रा-ए-किराम की आमद होती रहती| शाह नूरुर्रहमान उ’र्फ़ शाह लाल साहिब अ’ज़ीमाबाद के नामवर रसा में से एक थे। माल-ओ-दौलत के साथ-साथ सख़ी-ओ-जव्वाद भी थे। बेहतरीन क़ारी थे। शहर-ए-मदीना जाकर फ़न्न-ए-क़िराअत सीखा था। आवाज़ निहायत दिल-कश और तलफ़्फ़ुज़ बहुत अच्छा था। ख़ूबसूरत और शरीफ़ घराने के एक रौशन चराग़ थे। शे’र-ओ-सुख़न के अ’लावा तस्वीरों का बड़ा शौक़ था। हज़रत शाह अकबर दानापुरी से बराबर ख़त-ओ-किताबत क़ाएम रहा और हज़रत अकबर की जानिब से नसीहतों का सिलसिला भी जारी रहा। हज़रत अकबर के दीवान-ए-दोउम जज़्बात-ए-अकबर में भी शाह नूरुर्रहमान उ’र्फ़ शाह लाल का क़ित्आ’-ए-तारीख़-ए- तब्अ’ मौजूद है। शाह नूरुर्रहमान उ’र्फ़ शाह लाल ने 1335 हिज्र् मुवाफ़िक़ 14 अप्रैल 1917 ई’स्वी को कश्मीरी कोठी में इंतिक़ाल किया और दरगाह हज़रत शहाबुद्दीन पीर-ए-जगजोत के इहाता में मद्फ़ून हुए।