शाकिर वारसी का परिचय
शाकिर वारसी का तअ’ल्लुक़ देवा ज़िला' बाराबंकी से था। आपका शुमार आस्ताना-ए-वारिस के ख़ुद्दाम-ए-ख़ास में है। अपने दौर में हमा-वक़्त हाज़िर रहने का ऐसा शरफ़ हासिल रहा है कि आप किसी बात को बे-हिजाबाना-अ’र्ज़ किया करते थे। तब्अ’-रसा नहीं थी। आप शे’र-ओ-शाइ’री का तज़्किरा भी नहीं किया करते मगर ख़ामोशी के साथ जज़्बात-ए-क़ल्बी का इज़हार वारिस-ए-पाक से नज़्म के पर्दे में कर लिया करते थे। उन्होंने तक़रीबन तमाम अस्नाफ़-ए-सुख़न में तब्अ’-आज़माई है।