शालीग्राम की साखी
पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद न जानो कोई।
जो कुछ होय सो मौज से होई, पिया समरथ करें सोई।।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere