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शालीग्राम

1829 - 1898 | आगरा, भारत

शालीग्राम

पद 22

साखी 3

चुपके चुपके बैठकर, करो नाम की याद।

दया मेहर से पाइयो, तुम सतगुरु परसाद।।

जो सुख नहिं तू दे सके, तो दुख काहू मत दे।

ऐसी रहनी जो रहे, सोई शब्द रस ले।।

पिया मेरे और मैं पिया की, कुछ भेद जानो कोई।

जो कुछ होय सो मौज से होई, पिया समरथ करें सोई।।

 

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