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शम्शाद लखनवी

1850 - 1917 | गाज़ीपुर, भारत

हज़रत आसी ग़ाज़ीपुरी के तिल्मीज़-ए-रशीद और मदरसा चश्मा-ए-रहमत ग़ाज़ीपुर के सद्र मुदर्रिस

हज़रत आसी ग़ाज़ीपुरी के तिल्मीज़-ए-रशीद और मदरसा चश्मा-ए-रहमत ग़ाज़ीपुर के सद्र मुदर्रिस

शम्शाद लखनवी की ग़ज़लें

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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