सय्यद मीराँ जी ख़ुदानुमा का परिचय
उपनाम : 'ख़ुदानुमा'
मूल नाम : सय्यद मीराँ जी
पहले गोलकुंडा के सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह (1624-72 ई.) के दरबार में मुलाजिम थे। एक दफा किसी काम से बीजापुर गये, जहाँ उन्हें शाह अमीनुद्दीन आना की संगत में आने का मौका मिला। वह शाहजी के मुरीद हो गये और भागनगर (हैदराबाद) लौटकर सूफियों जैसे जीवन व्यतीत करते रहे। उनका देहांत 1659 ई. में हुआ। यहीं मुहल्ला कारवाँ इनकी समाधि आज भी पूजी जाती है। इन्होंने दकनी में कई ग्रंथ लिखे जिनमें चक्की नामा प्रसिद्ध है।