सय्यद मोहम्मद ताजुद्दीन के सूफ़ी उद्धरण





इंसान को बाहरी नुक़सान से ज़्यादा असर नहीं पड़ता, उस की सबसे बड़ी दौलत दिल का सुकून और शांति है।
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मन भटक रहा है। किस के कहने से सो रहा है? यह ज़िंदगी कुछ दिनों की है और तू अपने दिमाग़ को सुस्त करके सो रहा है? सोच-समझ कर काम ले और ज़िंदगी का मक़सद समझने की कोशिश कर।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere