सय्यदना अमीर अबुलउला के सूफ़ी उद्धरण

इंसान को चाहिए कि वह अपनी भलाई और फ़ायदे को दूसरों की भलाई के मुक़ाबले में ज़्यादा अहमियत न दे।
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सूफ़ी वह नहीं, जो चिल्ला खींचे, अकेले में इबादत करे, बल्कि वह है, जो ख़ुद को मिटा दे।
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दुनिया-दार लोग कम हिम्मत वाले, नासमझ और ग़ाफ़िल होते हैं। उनकी ज़िंदगी दौलत, पैसा, शोहरत में ही उलझी होती है, जबकि फ़क़ीर लोग ख़ुदा के दीदार की तलाश में उलझे और बेचैन रहते हैं।
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दरवेशी, बादशाही से हज़ार दर्जा बेहतर है, क्योंकि इस से आम लोगों को कोई नुक़सान नहीं होता।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere