तुलसी साहिब हाथरस वाले
ग़ज़ल 3
शे'र 1
पद 46
शबद 2
कुंडलिया 2
रेख़्ता 2
साखी 5
आठ पहर रोवत रही भरि भरि अँखिया नीर
पीर पिया परदेस की जा से भँवर अधीर
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अली अकास सुरत चली गली गगन के माहिँ
धाइ धमक ऊपर चढ़ी खड़ी महल मुस्काइ
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घट अकास के मध्द में पंछी परम अकास
समुँद सिखर सूरत चढ़ी पावे 'तुलसी-दास'
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नगर पाँच परपंच में कस कस रहन हमार
चार चुगल गुगली करें रहूँ बेचैन मन पार
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लख प्रकास पद तेज को सैज गवन गति गाइ
पाइ पदम सूरति चली पिया भवन के माहिँ
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