तुलसी साहिब हाथरस वाले का परिचय
असल नाम श्यामराव, दक्षिणी ब्राह्मण| पूना के महाराज के युवराज (बड़े बेटे ) थे | पिता के बार-बार आग्रह करने के बावजूद गद्दी पर बैठने के एक दिन पहले राज-पाट छोड़कर निकल गए| कई साल तक भ्रमण करने के पश्चात आख़िरकार अलीगढ जिले के हाथरस में क़याम किया| तुलसी दास अक्सर हाथरस से बाहर कम्बल ओढ़े और हाथ में डंडा लिए बाहर शहरों में चले जाया करते थे| जोगिया नामक गाँव में जो हाथरस से एक मील की दूरी पर है में, अपना सत्संग शुरू किया| तुलसी दास के अनुयायी हज़ारों की तादाद में हिंदुस्तान के कई शहरों में मौजूद हैं | इनकी समाधि हाथरस में मौजूद हैं जहाँ लोग ज़ियारत के लिए आते हैं और साल में एक बार भारी मेला भी लगता है|
प्रमुख रचनायें -
१. घट रामायण
२.शब्दावली
३. रत्नसागर
४ . एक अधूरा ग्रन्थ पद्मसागर है जो शब्दावली के दूसरे भाग के अंत में छपा है