विष्णु अकबराबादी के अशआर
आरज़ू-ए-'आशिक़ दिल-गीर आधी रह गई
या'नी उस के वस्ल की तदबीर आधी रह गई
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टैग : आ’शिक़
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere