शेख वजीहुद्दीन 'वज्दी' करनूल के निवासी औरंगजेब के अंतिम समय का कवि था। इसने तीन कथा-काव्य (मसनवियाँ) लिखीं- (1) तोहफये-आशिका (1703 ई.), (2) बाग-ए-जा-फैजाँ (1732 प्रमोद उद्यान) और (3) पंछीनामा या पंछीवाचा (1732)। इसमें पहली और तीसरी प्रसिद्ध सूफ़ी संत फरीदुद्दीन अत्तार की फारसी मसनवियों के अनुवाद है। वज़्दी का दीवान भी मिलता है।