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सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
(रत्नसेन बिदाई खंड 32।4, क्रमांक दोहा 377) बिनौ करै पदुमावति नारी। हौं पिय कँवल सो कुंद नेवारी।1
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
ओठनि मैं उपमा बर बिंब की दंत की पंगति कुंद सही।। चंद कहै नवनीरद से कच, अंग सुहेमै की गौरि गही।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आफ़ताब-ए-नूरब-ख़्श आंगाह बस्तांदश नूरचूँ कुंद दा'वा तमामी पेश-ए-ऊ बद्र-ए-मुनीर
हकीम सनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मगर फ़ुज़्ले कुंद एज़द कजीं हालत रहा गर्दीवगर्नः बा चुनीं ख़सलत नजात-ए-ख़्वेश कम बीनी
हकीम सनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
अयामी ख़ूर्दः-ए-ग़फ़लत कनूँ मस्ती-ओ-बे-होशीख़ुमार अर ज़ीं कुंद फ़र्दा कमाल-ए-ख़्वेश नुक़सानी
हकीम सनाई
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
पस आँगह नुतफ़े गर्दानद व-अज़-ऊ शख़्सी कुंद पैदामिसालश मोहकम-ओ-साबित निहादश मुत्तफ़न-ओ-मौज़ूँ
हकीम सनाई
ग़ज़ल
हुई है तेग़ कुंद उस की ब-क़ौल-ए-हज़रत-ए-'ग़ालिब'तमाशा-ए-ब-ख़ूँ ग़लतीदन-ए-बिस्मिल पसंद आया
अशफ़ाक़ हुसैन मारहरवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
उक़ूबत मी-कशम ता ज़िंद:-अम रह कि-अंदरीं ज़िंदाँहम: किस जाँ कुंद सूरत मुरा जाँ अस्त दुश्मन हम
अमीर ख़ुसरौ
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दर शब-ए-माहताब अगर सग हमः शब फ़ुग़ाँ कुंदआँ सग-ए-बा-फ़ुग़ाँ मनम रु-ए-तू माहताब-ए-मन