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सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
तवक्कुल – (ख़ुदा पर यक़ीन; ईश्वर पर निर्भरता) –है तवक्कुल मुझे अल्लाह पर अपने अकबर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
Fawaid-ul-Fawaad (Morals For The Heart) – Book review
7- तवक्कुल– तवक्कुल के तीन दर्जे हैं । पहला दर्जा यह कि जैसे कोई शख्स अपने
सुमन मिश्रा
सूफ़ी कहानी
हिकायात- 20
फिर तवक्कुल का ज़िक्र निकला। फ़रमाया कि तवक्कुल के तीन दर्जे हैं। पहला दर्जा यह है
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी गुलशने इश्क़
तवक्कुल पै तिस जस है साबित मुकींन रहे तिसके मक़सूद दुनिया वो दीं
नुसरती
दकनी सूफ़ी काव्य
तूतीनामा- चुन उस गोहराँ के समन्द का गम्भीर
अपस मे अपै फ़िक्र कर इस बज़ातवक्कुल सते दिल सो रख बर क़ज़ा
मुल्ला ग़व्वासी
सूफ़ी लेख
तजल्लियात-ए-सज्जादिया
है तवक्कुल मुझे अल्लाह पर अपने ‘अकबर’जिसको कहते हैं भरोसा वो भरोसा है यही
अहमद रज़ा अशरफ़ी
नज़्म
।। लोभ ।।
संतोष तवक्कुल हिरनों ने जब हिर्स की खेती आन चरी।फिर देख तमाशे क़ुदरत के और लूट बहारें हरी भरी।