Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama
noImage

आशना फुलवारवी

1778 - 1853 | फुलवारी शरीफ़, भारत

फुलवारी शरीफ़ के सूफ़ी शाइ’र

फुलवारी शरीफ़ के सूफ़ी शाइ’र

आशना फुलवारवी का परिचय

उपनाम : 'आशना'

मूल नाम : अबु तुराब

जन्म :फुलवारी शरीफ़, बिहार

निधन : फुलवारी शरीफ़, बिहार, भारत

संबंधी : अहमदी फुलवारवी (मुर्शिद)

आपका नाम अबू तुराब और तख़ल्लुस आश्ना है। आप हज़रत पीर मुजीबुल्लाह क़ादरी फुल्वारवी के साहिब-ज़ादे शाह मिन्नतुल्लाह क़ादरी के बेटे या’नी पीर मुजीबुल्लाह के पोते हुए। आपकी पैदाइश 1192 हिज्री में अपने वतन-ए- मालूफ़ फुल्वारी शरीफ़ में हुई। आपने उ’लूम-ए-ज़ाहिरी की ता’लीम अपने ख़ानदान के एक बा-अ’ज़मत बुज़ुर्ग मौलाना अहमदी से हासिल की और उ’लूम-ए-बातिनी की तकमील शाह ने’मतुल्लाह क़ादरी फुल्वारवी से हुई। 1216 हिज्री में आपसे मुरीद भी हूए। आपने इ’ल्म-ए-फ़िक़्ह में भी चंद रसाएल लिखे हैं जो मख़्तूता की शक्ल में कुतुब- ख़ाना ख़ानक़ाह-ए-मुजीबिया, फुल्वारी शरीफ़ की ज़ीनत है। 1270 हिज्री में आपका विसाल हुआ और अपने ख़ानदानी क़ब्रिस्तान में दफ़्न हुए। आश्ना फुल्वारवी उर्दू-ओ-फ़ारसी दोनों के क़ादिरुल-कलाम शाइ’र थे। तसव्वुफ़ में आपको कामिल दस्तगाह हासिल थी। ये रंग आपकी शाइ’री पर भी ग़ालिब था। इसीलिए आप सूफ़ी शाइ’र की हैसियत से मश्हूर हुए। आश्ना फुल्वारवी की एक ग़ज़ल बहुत मश्हूर है जिसमें रंग-ए-तग़ज़्ज़ुल भी है और आहंग-ए-तसव्वुफ़ भी। मुलाहिज़ा कीजिए। सर है अपना और तेग़-ए-यार, होनी हो सो हो जाँ रहे या जाए, अब की बार होनी हो सो हो


संबंधित टैग

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए