आशना फुलवारवी के अशआर
हाथ से इ’श्क़ के बचने की तो उम्मीद नहीं
सीना अफ़गार है दिल ख़ूँ है जिगर पानी है
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क्या कहा तू ने सबा कह तू चमन में क्यूँ आज
ग़ुंचे को तंग-दिली गुल को परेशानी है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
 
                         
 