अब्दुर्रहमान
दोहा 6
बारी बारी बैस में वारी सौति श्रृंगार
हारी हारी करत है हारी हेरत हार
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चुनी चुनी पहरी सुरंग चुनी सौति दल कीन
बनी बनी रस सो सरस तना तनी कुच पीन
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नर राची मेंना लखी तू कित लिख्यो सुजान
पढ़ कुरान भौरा भयो सुन राच्यो ‘रहमान’
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पलकन में राखौ पियहि पलकन छाड़ौ संग
पुतरी सो तै होहि जिन डरपत अपने अंग
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बानी बानी देत शुभ जस बाती तस रीति
‘रहैमान’ ताको तबै रहैमान चित प्रीति
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