अब्सार बल्ख़ी के सूफ़ी लेख
पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
“बल्ख़” अफ़्ग़ानिस्तान का छोटा सा क़स्बा है। मुवर्रिख़ीन के मुताबिक़ ये सिकंदर-ए-आ’ज़म से पहले से आबाद था। उसका क़दीम नाम “बाख़्तर” है। सिकंदर-ए-आ’ज़म की मलिका भी इसी शहर-ए-बल्ख़ की रहने वाली थी। कहा जाता है कि 56 हिज्री से क़ब्ल ही यहाँ मुसलमानों की
हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन बल्ख़ी
हज़रत इब्राहीम बिन अद्हम बल्ख़ी सिल्सिला-ए-सुलूक-ओ-मा’रिफ़त के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग गुज़रे हैं।जिन्हों ने बल्ख़ की बादशाहत और फ़रमा -रवाई छोड़कर नजात-ए-हक़ीक़ी और फ़लाह-ए-उख़्रवी में सुलूक-ओ-मा’रिफ़त की राह इख़्तियार की।हज़रत हकीम सय्यद शाह तक़ी हसन
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere