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अमजद हैदराबादी

1886 - 1961 | हैदराबाद, भारत

हैदराबाद का रुबाई’-गो सूफ़ी शाइ’र

हैदराबाद का रुबाई’-गो सूफ़ी शाइ’र

अमजद हैदराबादी का परिचय

उपनाम : 'अमजद'

मूल नाम : स्येद अहमद हुस्सैन

जन्म :हैदराबाद, तेलंगाना

निधन : तेलंगाना, भारत

अमजद हैदराबादी का मुकम्मल नाम सय्यद अहमद हुसैन और तख़ल्लुस अमजद था। वो 1886 ई’स्वी को हैदराबाद में पैदा हुए। उनके वालिद का नाम सय्यद रहीम अ’ली और वालिदा मोहतर मा का नाम सूफ़िया था। उन्होंने अपनी इब्तिदाई ता’लीम अपने वालिदा से हासिल की। उसके बा’द जामिआ’ निज़ामिया में छः साल तक दीनी ता’लीम हासिल की। उन्होंने अ’ब्दुल-वहाब बारी और सय्यद अ’ली शुस्तरी से फ़ल्सफ़ा की ता’लीम हासिल की। उनकी शादी अठारह साल की उ’म्र में शैख़ मीराँ साहिब की दुख़्तर महबूबुन्निसा से अंजाम पाई जिनके बत्न से एक बेटी आ’ज़मुन्निसा पैदा हुई। उन्होंने इब्तिदाई अय्याम में बैंगलौर सिटी हाई स्कूल में तदरीसी ख़िदमत अंजाम दी फिर दफ़्तर-ए- मुहासबी हैदराबाद में मुलाज़मत इख़्तियार की। 1908 ई’स्वी में आफ़ात-ए-समावी या’नी मूसा नदी में आई तुग़्यानी ने अमजद को तन्हा कर दिया। इस तुग़्यानी के क़हर ने उनको अपने मकान और अहल-ओ-अ’याल से महरूम कर दिया। इस अलमनाक वाक़िआ’ ने उनकी ज़िंदगी पर गहरा असर मुरत्तब किया जिसकी वजह से उन्होंने नज़्म ''क़ियामत-ए-सुग़्रा' लिखी। अमजद 1932 ई’स्वी में अपनी मुलाज़मत से सुबुक-दोश हो गए। शाइ’री की इब्तिदा में अमजद हैदराबादी ने दीवान-ए-नासिख़ का ख़ूब मुतालिअ’ किया। असातिज़ा-ए-किराम से कलाम की इस्लाह ली| 1907 ईस्वी में मौलवी ज़फ़रयाब ख़ाँ की तहरीक पर अपना पहला शे’रिया मजमूआ’ ''रुबाई’आत-ए-अमजद ' शाए’ किया। अमजद को उर्दू ,अ’रबी और फ़ारसी तीनों ज़बानों पर उ’बूर हासिल था जिसके असरात उनकी इब्तिदाई शाइ’री में जा-ब-जा नज़र आते हैं अमजद हैदराबादी ने अपने कलाम के ज़रिऐ’ इस्लाह-ए-मुआ’शरा का काम अंजाम दिया है। उनको रुबाई’ पर दस्तरस हासिल थी। वो रुबाई के मक़्बूल-ए-आ’म शाइ’र थे। अमजद हैदराबादी के कलाम में सूफ़ियाना अंदाज़, हक़ीक़त-ब्यानी और इन्सानियत की फ़िक्र भी नज़र आती है। उन्होंने अपनी शाइ’री के ज़रिऐ’ इन्सानियत की इस्लाह का काम अंजाम दिया है उनका इंतिक़ाल 29 मार्च 1961 ई’स्वी को हैदराबाद में हुआ और तद्फ़ीन इहाता हज़रत सय्यद शाह ख़ामोश में की गई।


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