अंजुम वारसी का परिचय
अंजुम वारसी का ख़ानदानी नाम मुहम्मद शमीम अंसारी और क़लमी नाम शमीम अंजुम वारसी है। आपके वालिद का नाम अ’ब्दुल अ’ज़ीज़ अंसारी था जो बहुत मिलनसार और नेक सिफ़त आदमी थे। आपकी पैदाइश 1966 ई’स्वी में डुमराओं ज़िला' बक्सर में हुई थी। 1985 ई’ से आप बाज़ाब्ता तौर पर कलकत्ता में मुक़ीम हैं। आपने ता’लीम-ओ-तअ’ल्लुम के बा’द मुलाज़मत का पेशा इख़्तियार किया और हुनूज़ मुलाज़मत के पेशे से वाबस्ता हैं। 1987 ई’स्वी से आपने शे’र कहना शुरूअ’ किया। शाइ’री ने उन्हें बैनुल-अक़्वामी दर्जा का शाइ’र बना दिया है। आपकी तख़्लीक़ात मुल्क-ओ-बैरून-ए-मुल्क के मुवक़्कर रसाइल-ओ-जराइद में शाए’ हुआ करते हैं। शे’री सलाहियत के साथ ही साथ शमीम अंजुम बड़े नस्र-निगार भी हैं। आपकी तसानीफ़ में रूप-रूप तजल्ली, मग़रिबी में माहिया, अ’र्क़ अ’र्क़ चेहरे, दरिया दरिया चाँद, हर्फ़-हर्फ़ ख़ुश्बू, पनघट पनघट प्यास, जंगल-जंगल मोर, वरक़ -वरक़ शमीम के नाम लिए जा सकते हैं। शे’री असासा में धूप धूप साया(नज़्में), दर्पण-दर्पण रूप(ग़ज़लें), देवनागरी ज़बान में और ख़्वाब-ख़्वाब चिंगारी वग़ैरा काफ़ी अहम हैं।