असीर लखनवी के अशआर
बहार-ए-लाला-ओ-गुल लुत्फ़-ए-सब्ज़ा-ओ-सुंबुल
मज़ा था हम जो गुलिस्तान में आज-कल जाते
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टैग : गुल
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दिखाता इतनी तो तासीर गिर्या-ए-या'क़ूब
दयार-ए-मिस्र में अंधे कुएँ उबल जाते
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टैग : गिर्या-ओ-ज़ारी
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‘असीर' आँख दिखाता अगर हमें सय्याद
क़सम तू क्या क़फ़स-ए-जिस्म से निकल जाते
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टैग : असीर
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‘असीर' आँख दिखाता अगर हमें सय्याद
क़सम तू क्या क़फ़स-ए-जिस्म से निकल जाते
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चराग़ ख़ूब हुआ मेरे क़ब्र पर ना जला
इधर उधर के पतंगे ग़रीब जल जाते
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टैग : क़ब्र
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere