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बर्क़ लखनवी

1790 - 1857 | लखनऊ, भारत

नासिख़ का एक गुम-नाम शागिर्द

नासिख़ का एक गुम-नाम शागिर्द

बर्क़ लखनवी का परिचय

उपनाम : 'बर्क़'

मूल नाम : मिरज़ा मुहम्मद रज़ा ख़ान

जन्म :लखनऊ, उत्तर प्रदेश

निधन : 01 Oct 1857 | वेस्ट बंगाल, भारत

बर्क़ लखनवी का नाम मिर्ज़ा मुहम्मद रज़ा ख़ाँ था। वो बर्क़ तख़ल्लुस किया करते थे। उनके वालिद का नाम मौलाना काज़िम अ’ली ख़ाँ सालिह लखनवी था। 1790 ई’स्वी में लखनऊ में पैदा हुए। बर्क़ लखनवी नासिख़ के शागिर्दों में थे। उनका एक दीवान उनकी हयात में 1853 ई’स्वी में शाए’ हुआ। उन्होंने शे’र-ओ-सुख़न को ख़ूब परवान चढ़ाया। उनके अश्आ’र आज भी ज़बान-ज़द-ए- ख़ास-ओ-आ’म हैं। ज़ैल का शे’र तो निहायत मशहूर है। मुद्दई’ लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है आपके शागिर्दों में हुसैन अ’ली ख़ाँ अहसन कलकत्तवी, मौलवी हादी अ’ली अश्क लखनवी, मिर्ज़ा सरफ़राज़ अ’ली, जरी लखनवी वल्द मिर्ज़ा नवाज़ अ’ली का नाम नुमायाँ है। 17 अक्तूबर 1857 ई’स्वी में कलकत्ता में उनका इंतिक़ाल हुआ


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