भीखा साहेब का परिचय
उपनाम : 'भीखा'
घरेलु नाम मीखानंद। आजमगढ़ के खानपुर बोहना गाँव में जन्म। बारह वर्ष की उम्र में घरबार छोड़कर सच्चे गुरु की तलाश में निकल पड़े। काशी आदि जगहों पर भी कुछ न मिलने से निराश होकर वापस लौट रहे थे कि रास्ते में पता चला कि गाजीपुर के मुड़कुड़ा गाँव में गुलाल साहब नाम के संत हैं। भीखा साहब उनसे मिले और उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया। गुलाल साहब के विसाल के बाद इन्हें उनकी गद्दी। मिली जिसपर 24-25 साल तक वही रहकर 50 वर्ष की आयु में मुड़कुड़ा में ही शरीर त्याग दिया। मुड़कुड़ा में इनकी समाधि अपने गुरु गुलाल साहेब और दादा गुरु बुल्ला साहब के साथ मौजूद है। यहाँ विजयादश्मी पर बड़ा मेला लगता है। इनके कई ग्रंथ हैं जिनमें से एक 'राम जहाज' है जो बड़ी मोटी पुस्तक है।