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फ़िदाई जौनपुरी

1860 - 1919 | जौनपुर, भारत

जौनपुर का एक गुम-नाम शाइ’र

जौनपुर का एक गुम-नाम शाइ’र

फ़िदाई जौनपुरी का परिचय

उपनाम : 'फ़िदाई'

मूल नाम : मोहम्मद उ'समान फ़ारूक़ी

जन्म :मऊ, उत्तर प्रदेश

निधन : 01 Dec 1919 | उत्तर प्रदेश, भारत

फ़िदाई जौनपुरी का अस्ल नाम शाह मुहम्मद उ’समान फ़ारुक़ी था। फ़िदाई तख़ल्लुस करते थे। उनकी पैदाइश ज़िला' मऊ के क़स्बा वलीदपुर भेरा में 1860 ई’स्वी में हुई। आपके जद्द-ए-अमजद बड़े पाया के आ’लिम और सूफ़ी गुज़रे हैं जिन्हों ने अपने फ़ुयूज़-ओ-बरकात से रू-ए-ज़मीं को माला-माल किया था। उन्हों ने अ’रब-ओ-अ’जम के बेश्तर हिस्सों का दौरा करने के बा’द देहली में सुकूनत इख़्तियार किया। अ’र्सा-ए-दराज़ के बा’द देहली से जौनपुर में आकर बस गए फिर उनके विर्सा में से शैख़ मुहम्मद मा’रूफ़ जौनपुर से वलीदपुर मुंतक़िल हो गए जो उस वक़्त ज़िला' आ‘ज़मगढ़ का हिस्सा था। इब्तिदाई ता’लीम ग़ाज़ीपुर के मौलवी अ’ब्दुल्लाह जो कि सब जज और रईस-ए-ग़ाज़ीपुर थे उनके मकान पर हासिल की। अबजद- ख़्वानी के बा’द दर्स-ए-निज़ामीया, फ़ल्सफ़ा और मंतिक़ मौलाना हिदायतुल्लाह से हासिल की और उनके मश्वरा पर आ’ला ता’लीम के लिए वकालत की ता’लीम का इंतख़ाब किया। मेहनत-ओ-मशक़्क़त से उस में कामयाब हुए और एक मुम्ताज़ वकील की हैसियत से रोज़गार-ए-ज़माना में मशग़ूल रहे। वकालत के लिए उन्होंने जौनपुर का इंतख़ाब किया जो उनका आबाई वतन भी था। वकालत के पेशा की वजह से उनको अक्सर-ओ-बेश्तर लखनऊ का सफ़र दर-पेश आया लेकिन जब उनकी तबीअ’त ना-साज़-गार रहने लगी तो अपने साहिब-ज़ादे शाह मुहम्मद सुलैमान बैरिस्टर के यहाँ इलाहाबाद मुंतक़िल हो गए और इ’लाज कराते रहे। हालत में सुधार न हुआ और आख़िर कार 1919 ई’स्वी को उन्होंने दाई’-ए-अजल को लब्बैक कहा। फ़ारसी शो’रा-ए-मुतक़द्दिमीन में ‘जामी’, ‘हाफ़िज़’ और ‘हज़ीं’ के बड़े मद्दाह थे। उन्हीं के ततब्बुअ’ में उन्होंने शे’र कहे हैं। उर्दू शो’रा में ‘मोमिन’ और ‘आसी’ सकंदपुरी के कलाम के दिल-दादा थे। अहल -ए-क़लम में नवाब इ’मादुल-मुल्क के मो’तरिफ़ थे। उर्दू में सर सय्यद की सादगी और ‘हाली’ के क़ौम-परस्ताना जज़्बा के क़ाएल थे।

 


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