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हैदर वारसी

1946 | दरभंगा, भारत

मुसन्निफ़, अदीब, शाइ’र और मुदर्रिस

मुसन्निफ़, अदीब, शाइ’र और मुदर्रिस

हैदर वारसी का परिचय

उपनाम : 'हैदर'

मूल नाम : अ’लाउद्दीन

जन्म : 01 Jan 1946 | दरभंगा, बिहार

निधन : बिहार, भारत

हैदर वारसी का असली नाम अलाउ’द्दीन और वालिद का नाम नूरुल-हुदा है, आपकी पैदाइश 1 जनवरी 1946 ई’स्वी को दरभंगा में हुई, इब्तिदाई ता’लीम अपने वालिद-ए-माजिद से हासिल की फिर मैट्रिक दरभंगा के शफ़ीअ’ मुस्लिम हाई स्कूल से किया और मिल्लत कॉलेज, दरभंगा से Pre-Arts से Graduation तक की ता’लीम हासिल की, बिहार यूनीवरसिटी से एम.ए अंग्रेज़ी की सनद हासिल की,1970 ई’स्वी में टी, टी, कॉलेज, समस्तीपुर से B.ED किया,1978 ई’स्वी में शफ़ीअ’ कॉलेज मुस्लिम हाई स्कूल, दरभंगा मुंतक़िल हो गए और 2002 ई’स्वी से प्रिंसपल के ओ’हदे पर फ़ाइज़ रहे और यहीं से सबक-दोश हुए, हैदर वारसी 1975 ई’स्वी से शार-ओ-शाइ’री करने लगे और शादाँ फ़ारूक़ी और डॉक्टर मुर्तज़ा अज़हर रिज़वी से मश्वरा-ए-सुख़्न लेते रहे, हैदर मौरूसी वारसी थे, हैदर वारसी का पाँच शे’री मज्मूआ’ अब तक शाए’ हो चुका है जिनके नाम ये हैं, ''अ’क्स-ए-जमाल'', ''क़ुर्बत की ख़ुशबू' ، ''समुंद्र की आँख' ، ''रेगज़ार-ए-हयात' और ''अज्नबी सिम्तों से'।۔ हैदर के यहां फ़िक्र वफ़न का बयान इस तरह हुआ है कि उनकी ख़ुद-रफ़्तगी और शेफ़्तगी एक ख़ास तासीर पैदा करती है

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