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हसरत मोहानी

1875 - 1951 | उन्नाव, भारत

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

हसरत मोहानी

ग़ज़ल 31

शे'र 58

कलाम 6

फ़ारसी कलाम 1

 

फ़ारसी सूफ़ी काव्य 4

 

रूबाई 1

 

बैत 3

 

वीडियो 9

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कैसे छुपाऊँ राज़-ए-ग़म दीदा-ए-तर को क्या करूँ

मेहदी हसन ख़ान

क़ाबू में नहीं है दिल-ए-शैदा-ए-मदीना

गेसुओं को चेहरे पर आप ने बिखेरा है

नुसरत फ़तेह अली ख़ान

चुपके चुपके रात-दिन आँसू बहाना याद है

मेहदी हसन ख़ान

दस्त-गीरी का तलब-गार हूँ शैअन-लिल्लाह

अ'ब्दुल हफ़ीज़ आरफ़ी

निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे

बड़े गुलाम अली ख़ान

बला-कशान-ए-ग़म-ए-इंतिज़ार हम भी हैं

अज्ञात

रोज़-ए-महशर साया-गुस्तर है जो दामान-ए-रसूल

अज्ञात

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

आबिदा परवीन

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