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फ़ारसी कलाम1
फ़ारसी सूफ़ी काव्य4
रूबाई1
बैत3
ना'त-ओ-मनक़बत5
होली1
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम1
हसरत मोहानी के अशआर
शब-ए-ग़म किस आराम से सौ गए हम
फ़साना तिरी याद का कहते कहते
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टैग : ग़म
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लगा कर आँख उस जान-ए-जहाँ से
न होगा अब किसी से आश्ना दिल
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टैग : आँख
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तिरे ग़म को दुनिया में ऐ जान-ए-आ’लम
कोई रूह महरूम-ए-राहत नहीं है
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टैग : ग़म
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इलाही रंग ये कब तक रहेगा हिज्र-ए-जानाँ में
कि रोज़-ए-बे-दिली गुज़रा तो शाम-ए-इंतिज़ार आई
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टैग : इंतिज़ार
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न कर नासेहा ज़ब्त-ए-ग़म की नसीहत
कि है सब्र दुश्वार जान-ए-हज़ीं पर
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टैग : ग़म
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कसरत-ए-उम्मीद भी ऐश-आफ़रीं होने लगी
इंतिज़ार-ए-यार भी राहत-फ़ज़ा होने लगा
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टैग : इंतिज़ार
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वहीं से ये आँसू रवाँ हैं जो दिल में
तमन्ना का पोशीदा है इक ख़ज़ीना
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टैग : आँसू
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पहले तो ख़ून मेरा बहाया ख़ुशी ख़ुशी
फिर क्या वो ख़ुद ही सोचे कि पछता के रह गए
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टैग : ख़ुशी
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अज़ आह बे-क़रार-ए- दिल-आज़ुर्दगाँ ब-तर्स
तासीर-ए-इज़तिराब-ए-दुआ' रा निगाह-दार
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टैग : आह
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तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजाल
देखता था मैं कि तू ने भी इशारः कर दिया
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टैग : ग़ैर
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बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
अब तो इज़हार-ए-मोहब्बत बरमला होने लगा
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टैग : इज़हार
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कुछ ख़बर है तुझ को ऐ आसूद:-ए-ख़्वाब-ए-लहद
शब जो तेरी याद में हम ता-सहर रोया किए
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टैग : ख़्वाब
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तिरे करम का सज़ा-वार तो नहीं 'हसरत'
अब आगे तेरी ख़ुशी है सरफ़राज़ करे
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टैग : ख़ुशी
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ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
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टैग : ग़ैर
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चुपके चुपके रात-दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़मानः याद है
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टैग : आँसू
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ग़ैर से मिल कर उन्हें नाहक़ हुआ मेरा ख़याल
मुझ से क्या मतलब भला मैं क्यूँ ख़फ़ा होने लगा
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टैग : ग़ैर
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हम से कहते हैं करेंगे आज इज़हार-ए-करम
इस से कुछ मतलब नहीं महफ़िल में तू हो या न हो
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टैग : इज़हार
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निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे
वो अपनी ख़ूबी-ए-क़िस्मत पे क्यूँ न नाज़ करे
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टैग : क़िस्मत
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अजब हैं ये राज़-ओ-नियाज़-ए-मोहब्बत
ख़फ़ा क्यूँ हुए वो हैं इस पर ख़फ़ा हम
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टैग : ख़फ़ा
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ख़ुशी से ख़त्म कर ले सख़्तियाँ क़ैद-ए-फ़रंग अपनी
कि हम आज़ाद हैं बेगानः-ए-रंज-ए-दिल-आज़ारी
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टैग : ख़ुशी
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हो रहा है ग़ैर मुझ से बद-गुमाँ
हँस रही है पाक-दामानी मिरी
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टैग : ग़ैर
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न आएँगे वो 'हसरत' इंतिज़ार-ए-शौक़ में यूँ-हींं
गुज़र जाएँगे अय्याम-ए-बहार आहिस्तः आहिस्तः
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टैग : इंतिज़ार
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बर्क़ का अक्सर ये कहना याद आता है मुझे
तिनके चुनवाने लगी हम से जुदाई आप की
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टैग : जुदाई
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आरज़ू लाज़िम है वज्ह-ए-आरज़ू हो या न हो
इल्तिफ़ात उस काफ़िर-ए-ख़ुद-बीं की ख़ूँ हो या न हो
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टैग : आरज़ू
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हँसी इ'बरत बहुत जब रंग-ए-गुल की बे-सबाती ने
चमन में अंदलीब-ए-सादः-दिल को शादमाँ पाया
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टैग : गुल
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उम्मीदें तुझ से थीं वाबस्ता लाखों आरज़ू लेकिन
बहुत हो कर तिरी दरगाह से बे-ए'तिबार आई
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टैग : आरज़ू
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सुकून-ए-क़ल्ब की उम्मीद अब क्या हो कि रहती है
तमन्ना की दो-चार इक हर घड़ी बर्क़-ए-बला मुझ से
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टैग : उम्मीद
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मिलें भी वो तो क्यूँकर आरज़ू बर आएगी दिल की
न होगा ख़ुद ख़याल उन को न होगी इल्तिजा मुझ से
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टैग : इल्तिजा
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पढ़ के तेरा ख़त मिरे दिल की अजब हालत हुई
इज़्तिराब-ए-शौक़ ने इक हश्र बरपा कर दिया
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टैग : ख़त
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जिलाए शौक़ से आईना-ए-तस्वीर-ए-ख़ातिर में
नुमायाँ हो चला रू-ए-निगार आहिस्ता आहिस्ता
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टैग : आईना
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कसरत-ए-उम्मीद भी ऐश-आफ़रीं होने लगी
इंतिज़ार-ए-यार भी राहत-फ़ज़ा होने लगा
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टैग : उम्मीद
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न छेड़ ऐ हम-नशीं कैफ़ियत-ए-सहबा के अफ़्साने
शराब-ए-बे-ख़ुदी के मुझ को साग़र याद आते हैं
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टैग : ख़ुदी
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हुई उस में इक गर्मी-ए-शौक़ पैदा
पड़ी जो नज़र उस रुख़-ए-आतिशीं पर
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टैग : गर्मी
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मिटे अफ़कार-ए-गोना-गों के झगड़े
तिरे ग़म को न दे क्यूँकर दुआ दिल
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टैग : ग़म
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क्या कहा मैं ने जो नाहक़ तुम ख़फ़ा होने लगे
कुछ सुना भी या कि यूँही फ़ैसला होने लगा
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टैग : ख़फ़ा
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आ’शिक़ों के होंगे राह-ए-यार में क्या क्या हुजूम
शौक़ जिन को कारवाँ-दर-कारवाँ ले जाएगा
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टैग : आ’शिक़
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जफ़ा-कारी है तस्लीम-ए-सितम भी
न होगा ताबे'-ए-जौर-ओ-जफ़ा दिल
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आरज़ू के दिल पे आएँगी न क्या क्या आफ़तें
दर-पय-ए-इंकार है ना-आश्नाई आप की
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कुछ इस आ'लम में वो बे-पर्दा निकले सैर-ए-गुलशन को
कि नसरीं अपनी ख़ुश्बू रंग भोली नस्तरन अपना
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टैग : गुलशन
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बड़ी दरगाह का साइल हूँ 'हसरत'
बड़ी उम्मीद है मेरी बड़ा दिल
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टैग : उम्मीद
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इ’श्क़ से फिर ख़तरा-ए-तर्क-ए-वफ़ा होने लगा
फिर फ़रेब-ए-हुस्न सरगर्म-ए-अदा होने लगा
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टैग : अदा
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उमीद-वार हैं हर सम्त आ’शिक़ों के गिरोह
तिरी निगाह को अल्लाह दिल-नवाज़ करे
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टैग : आ’शिक़
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तिरी ख़ू-ए-बरहम से वाक़िफ़ थी फिर भी
हुए मुफ़्त शर्मिंदा-ए-इल्तिजा हम
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टैग : इल्तिजा
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मलामत ही लिखी है सर-बसर क्या
मिरी क़िस्मत में तेरे पासबाँ से
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टैग : क़िस्मत
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वो क्यूँ बिगड़े मिरे शोर-ए-फ़ुग़ाँ से
शिकायत उन से थी या आसमाँ से
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टैग : आसमान
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मिरे दिल से है राज़ी ग़म तुम्हारा
न कहना अब ये काशान: बुरा है
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टैग : ग़म
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मोहब्बत के एवज़ रहने लगे हर-दम ख़फ़ा मुझ से
कहो तो ऐसी क्या सरज़द हुई आख़िर ख़ता मुझ से
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टैग : ख़फ़ा
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दिलों को फ़िक्र-ए-दो-आलम से कर दिया आज़ाद
तिरे जुनूँ का ख़ुदा सिलसिला दराज़ करे
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टैग : ख़ुदा
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आ’शिक़ों के होंगे राह-ए-यार में क्या क्या हुजूम
शौक़ जिन को कारवाँ-दर-कारवाँ ले जाएगा
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टैग : आ’शिक़
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मिलें भी वो तो क्यूँकर आरज़ू बर आएगी दिल की
न होगा ख़ुद ख़याल उन को न होगी इल्तिजा मुझ से
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टैग : आरज़ू
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere