जयदेव का परिचय
ये राजा लक्ष्मण सेन की सभा के पंच रत्नों में से एक थे जिनका राजत्व काल सन् 1170 से आरंभ होता है। कहते हैं कि जयदेव पहले रमता साधु थे और माया-ममता के भय से किसी पेड़ के तले भी एक दिन से अधिक वास नहीं करते थे। इनकी तीन रचनाएँ है- (1) गीत गोविन्द, (2) रमना माधव और (3) चंद्रालोक। गीत गोविंद सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसमें गोपियाँ पंचेन्द्रियाँ है और राधा दिव्य ज्ञान। गोपियों को छोड़कर राधा से प्रेम करना यही जीव की मुक्ति है।